Powered By Blogger

Sunday, August 29, 2010

अब मुझको जीना...

अब है उजाला, अब है सवेरा…
अब इन हवाओं, पे कर लून बसेरा
अब मैं ज़माने को, हुमराज़ कर लून
अब आसमानो पे, परवाज़ कर लून
इस पल में, है मुझ को जीना
अब मुझको जीना

नाकामियों से डरना क्या,जीने से पहले मरना क्या
झूम कर मेरा दिल अब यह मुझ से कहे,
ज़िंदगी है तो ज़िंदादिली भी रहे
अब इरादों को है तान लेना,अब तो ख्वाबों पे है जान देना
इस पल में, है मुझ को जीना
अब मुझको जीना

अंजाना कंगला मानु मैं,यह पल है अपना जानू मैं
यहाँ चारों तरफ प्यार के सिलसिले,
देखो वीरानियो में भी दिल हैं मिले
अपनी मंज़िल की मुझ को खबर है,
अब तो हिम्मत मेरी हमसफ़र है
इस पल में, है मुझ को जीना
अब मुझको जीना

No comments:

Total Pageviews