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Wednesday, August 25, 2010

बादल पे पाँव हैं...

सोचा कहा था, यह जो, यह जो हो गया
माना कहा था, यह लो, यह लो हो गया
चुटकी कोई काटो ना है हम तो होश में
कदमों को थामो यह है उड़ते जोश में

बादल पे पाँव हैं, या झूठा दाँव है
अब तो भाई चल पड़ी अपनी यह नाव है!!!


चल पड़े है हमसफर, अजनबी तो है डगर
लगता हमको मगर, कुछ कर देंगे हम अगर
ख्वाब में जो दिखा पर था छिपा बस जाएगा वो नगर

आसमान का स्वाद है, मुद्दतो के बाद है
सहमा दिल धकधक करें, दिन है या यह रात है
हाय तू मेहरबान क्यूँ हो गया बाखुदा, क्या बात है

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