Powered By Blogger

Monday, November 8, 2010

तू ना जाने आस पास है खुदा...

धुँधला जायें जो मंज़िलें
इक पल को तू नज़र झुका
झुक जाए सर जहाँ वही
मिलता है रब का रास्ता
तेरी किस्मत तू बदल दे
रख हिम्मत बस चल दे
तेरे साथी मेरे कदमों के हैं निशान
तू ना जाने आस पास है खुदा

खुद पे डाल तू नज़र
हालातों से हार कर
कहाँ चला रे
हाथ की लकीर को
मोढ़ता मरोदता
है हौसला रे
तो खुद तेरे ख्वाबों के रंग में
तू अपने जहाँ को भी रंग दे
के चलता हून में तेरे संग में
हो शाम भी तो क्या
जब होगा अंधेरा
तब पाएगा दर मेरा
उस दर पे फिर होगी तेरी सुबह

मिट जाते हैं सबके निशान
बस एक वो मित्त ता नहीं है हाए
मान ले जो हर मुश्किल को मर्ज़ी मेरी हाए
हो हमसफर ना तेरा जब कोई
तू हो जहाँ रहूँगा में वही
तुझसे कभी ना इक पल भी में जुदा
तू ना जाने आस पास है खुदा

No comments:

Total Pageviews