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Saturday, February 13, 2010

जाने दिल में कब से है तू...

इस दिल पे लगते है जो,
वो ज़ख़्म दिखते नहीं
अपनों से मिलते है जो,
वो दर्द मिट ते नहीं
मैं पास अपने नहीं,
बस दूर जब से है तू

जाने दिल में कब से है तु
जब से मैं हून तब से है तू
मुझको मेरे रब की कसम
यारा रब से पहले है तू

अच्छा है हस्ते हुए हो गये हम तुम जुदा
ये कोई ना पूच्छ ले वो हमसफ़र कौन था

अब तो मुझे याद नहीं साथ मेरे कब से है तू
साथ मेरे कब से है तू ......

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